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नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट एक फरवरी 2021 को पेश होगा। इस साल पेश होने वाला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यकाल का तीसरा बजट होगा। इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। एक फरवरी 2019 को पीयूष गोयल द्वारा अंतरिम बजट पेश किया गया था। इसके बाद पांच जुलाई 2019 को निर्मला सीतारमण ने अपना पहला आम बजट पेश किया था। एक फरवरी 2020 को उन्होंने अपना दूसरा बजट पेश किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम बजट आखिर अंतरिम बजट से अलग कैसे है?

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अंतरिम बजट हर साल पेश होने वाले पूर्ण बजट से काफी अलग होता है। अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account) में थोड़ा सा नीतिगत अंतर होता है।  

केवल कुछ महीने के लिए होता है अंतरिम पेश
अंतरिम बजट एक खास समय के लिए होता है। चुनावी साल में सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। यह बजट चुनावी वर्ष में नई सरकार के गठन तक खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता होता है। अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के शुरुआती तीन से पांच महीने या फिर चुनाव संपन्न होने तक के लिए अंतरिम बजट पेश होता है। जो नई सरकार सत्ता में आती है, वो पूर्ण बजट पेश करती है। यह इसलिए पेश किया जाता है ताकि सरकार की तरफ से होने वाले खर्चों में किसी तरह की कोई कमी न आए। 

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अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट में अंतर
अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट में थोड़ा सा अंतर होता है। अगर सरकार कुछ महीनों के लिए खर्चा चलाने के लिए संंसद से मंजूरी मांगती है तो उसे वोट ऑन अकाउंट कहते हैं। वहीं अगर सरकार खर्च के अलावा कमाई का ब्यौरा भी पेश करती है, तो उसके अंतरिम बजट भी कहा जाता है।

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नीतिगत फैसले लेने की बाध्यता नहीं
अंतरिम बजट में सरकार आम तौर पर कोई नीतिगत फैसला नहीं लेती है लेकिन इसके लिए किसी तरह की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। इतिहास में कई बार पूर्व सरकारों के वित्त मंत्रियों ने अंतरिम बजट में भी कई तरह के नीतिगत फैसले लिए हैं। हालांकि नई सरकार सत्ता में आने के बाद इनको बदल सकती है।  

 

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